शुक्रवार, 20 मई 2011

फिर खुलेंगे 33 बाल श्रमिक विद्यालय


फिर खुलेंगे 33 बाल श्रमिक विद्यालय

भागलपुर : नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट (एनसीएलपी) के तहत कराये गये इस सर्वे के बाद 33 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय पुन खोले जायेंगे. स्थानीय प्रशासन द्वारा इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है.
जिले में ताजा सर्वे के मुताबिक 1802 बाल श्रमिक हैं. इन विद्यालयों की कार्य अवधि तीन साल की होती है.
इसके पूर्व भी जिले में 92 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय संचालित थे, जिनमें 75 का तीन साल की अवधि 30 नवंबर को पूरी हो गयी थी. अन्य 17 विद्यालय भी 31 मई को बंद हो जायेंगे.इस बाबत एनसीएलपी के प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि जिले में जिला पदाधिकारी बाल श्रमिक विशेष विद्यालय के चेयरमैन होते हैं जबकि एनजीओ व ट्रेड यूनियन से जुड़े लोगों के साथ ही श्रम, शिक्षा तथा इससे जुड़े अन्य विभागों के वरीय पदाधिकारी इसके सदस्य होते हैं. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद चेयरमैन व सदस्यों की आपसी सहमति से विद्यालय खोलने की प्रक्रिया शु कर दी जायेगी. एक विद्यालय तीन वर्ष के लिये खोला जाता है.
क्या है बाल श्रमिक विद्यालय
ईंट-भट्ठों सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों या अन्य खतरनाक उपक्रम में कार्य करने वाले 9 से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा के लिये यह स्कूल खोला जाता है. स्कूल में बच्चों को तीन साल तक शिक्षा देने के बाद मुख्यधारा से जोड़ते हुए छठी कक्षा में उनका सामान्य स्कूल में नामांकन करा दिया जाता है. स्कूल में शिक्षा के अलावा उम्र व कार्य अनुभव को देखते हुए बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है.
पोषाहार व छात्रवृत्ति
विशेष विद्यालय में नामांकित बच्चों को सरकार की ओर से पूरक पोषाहार दिया जाता है. पांच रुपये प्रति बच्चे, प्रति दिन के हिसाब से पोषाहार राशि का वितरण किया जाता है. इसके अलावा सभी बच्चों को 100 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति भी मिलती है. यह छात्रवृत्ति बच्चों के मुख्यधारा से जुड़ने के बाद दी जाती है. तब तक यह राशि छात्र के नाम खोले गये बैंक अकाउंट में जमा रहती है.
एक विद्यालय पर खर्च
एक बाल श्रमिक विशेष विद्यालय में कम से कम 46 विद्यार्थी होने चाहिए. इसके लिये दो शिक्षक, एक वोकेशनल प्रशिक्षक, एक क्लर्क या एकांउटेंट तथा एक सहायक या चपरासी होते हैं. इन पर मासिक भुगतान के अलावा पठन-पाठन सामग्री, किराया, बिजली बिल, पानी ओद मिला कर साल में प्रति विद्यालय लगभग सवा दो लाख रुपये का खर्च आता है. स्कूल शिक्षक 36,000 वोकेशनल प्रशिक्षक 18,000 क्लर्क-अकाउंटेंट 16,800सहायक-चपरासी 9,600छात्रवृत्ति 60,000 पोषाहार , 71,760 सामग्री, 10,000किराया, बिजली, पानी 12,000 अन्य 4,000 कुल, 2,38,160
लगते रहे हैं प्रश्नचि
जिले में संचालित 92 बाल श्रमिक विशेष विद्यालयों पर प्रश्नचि लगते रहे हैं. पिछले दिनों कल्याण विभाग के उपनिदेशक ने जब इन विद्यालयों की जांच की थी तो करीब 70 फीसदी विद्यालय बंद पाये गये थे. जो खुले थे उनमें भी मानक के अनुप न तो विद्यार्थी थे और न ही शिक्षक. 5-10 विद्यार्थियों को लेकर महज दिखावा के लिये कुछ विद्यालय चलाये जा रहे थे, जबकि रजिस्टर पर इससे कहीं ज्यादा की उपस्थिति दर्ज थी.पोषाहार व शिक्षकों को मानदेय ओद का भुगतान भी नियमित नहीं था.
- संजय निधि -

मंगलवार, 17 मई 2011

विज्ञानं  और तकनीक ने मनोरंजन जगत पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है. aaipoud  , मोबाईल. मल्टीप्लेक्स और न जाने क्या क्या? अब तो हम ये सोचने की ज़हमत भी नहीं उठाया की आखिर पीछे क्या छूट गया है? जैसे ये सनीमा ...

बाल श्रम : डाo एo कीर्तिवर्धन


मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर
जन-जन कि प्यास बुझाता हूँ
बालश्रम का मतलब क्या है
समझ नहीं मैं पाता हूँ

भूखी अम्मा, भूखी दादी
भूखा मैं भी रहता हूँ
पानी बेचूं,प्यास बुझाऊं
शाम को रोटी खाता हूँ

उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ
जो भिक्षा माँगा करते हैं
नहीं गया विद्यालय तो क्या
मेहनत कि रोटी खाता हूँ

पढ़ लिख कर बन जाऊं नेता
झूठे वादे दे लूँ धोखा
अच्छा इससे अनपढ़ रहना
मानव बनना होगा चोखा

मानवता कि राह चलूँगा
खुशियों के दीप जलाऊंगा
प्यासा खुद रह जाऊँगा,पर
जन जन कि प्यास बुझाऊंगा

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डाo एo कीर्तिवर्धन
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/